Thursday, August 19, 2021

राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य (National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary) : सात साल में करीब दो गुना हुए घड़ियाल।

 


साधारण नाम : घड़ियाल (Gharial) /गेवियल (Gavial)/फिशईटिंग क्रोकोडाइल (Fish-Eating-crocodile)

वैज्ञानिक नामः Gavialis ganeticus                               

दुलर्भ प्रजाति में शामिल घड़ियालों का चंबल नदी में स्थापित, “ राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभ्यारण्यके तहत मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संरक्षण का कार्य चल रहा है, जो प्रगतिशील है। कभी चंबल नदी में लुप्त प्राय स्थिति में पंहुचे घड़ियाल की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। वन विभाग की वार्षिक गणना के मुताबिक 2016 में 1162, 2017 में 1255, 2018 में 1681, 2019 में 1876, 2020 में 1859, और 2021 में 2176 घड़ियाल, राष्ट्रीय चंबल  अभयारण्य में मिले थे। अतः रिर्पोट के अनुसार, चंबल नदी (chambal river) में घड़ियाल (gharial) का कुनबा सात साल में दो गुना हो गया है।

चंबल नदी : 1225 नन्हें बच्चे(hatchlings) घड़ियाल परिवार में शामिल :

वनविभाग के अनुसार, चंबल नदी की बाह रेंज में, रेहा से उदयपुर खुर्द तक, इस साल  रिकार्ड हैचिंग हुई। मादा घड़ियालों ने 18 स्थानों पर घोंसलों  (nests) बनाये जिनमें 1924 अंड़े दिये थे। जिन से 1225 घड़ियाल शिशुओं का जन्म हुआ है।

मदर काल (अंडों से आने वाली सरसराहट की अवाज) सुनते ही, मादा घड़ियालों ने गाद हटाई तो अंडों से बाहर निकले बच्चों ने चंबल नदी (chambal river) को रुख किया। वनकर्मियों की निगरानी में घड़ियाल शिशु सफलतापूर्वक चंबल नदी में पहुंचे।

इससे पहले वनविभाग ने, नेस्टिंग (nestings) के समय लोकेशन को ट्रेस कर, घोंसलों पे जाली लगवा दी थी जिससे कि अंड़ों को बाहरी और पानी के वन्यजीवों  के खतरों से बचाया जा सके।

एक मादा घड़ियाल, एक बार में 20 से 95 अंडे तक दे सकती है, लेकिन वाइल्ड लाइफ में, घड़ियाल के बच्चों के बाहरी और पानी के वन्यजीवों के हमले के कारण बचने के बहुत कम चांस होते हैं। ऐसा माना जाता है कि दो या चार फीसदी घड़ियाल शिशु ही जीवित रह पाते हैं ,बाकी वयस्क होने से पहले ही मर जाते हैं या फिर किसी जानवर का शिकार हो जाते हैं। वन विभाग का आंकलन है कि शिशुओं की मौत एक मुख्य कारण चंबल नदी में हर साल आने वाली बाढ़ है, जिससे करीब 40 फीसदी शिशु हर वर्ष बाढ़ में मारे जाते हैं। कुछ मिट्टी युक्त गंदे पानी से अंधे होकर दूसरे वन्यजीव जैसे मगरमच्छ, कछुआ आदि  का निवाला बन जाते हैं।

बाह के रेंजर आर के सिंह ने बताया कि कोरोना काल में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य से अच्छी खबर आयी है। 12 सदस्यीय दल के सर्वे के मुताबिक चंबल नदी में 1859 बढ़कर 2176 घड़ियाल, 710 से बढ़कर 886 मगरमच्छ और 68 से बढ़कर 82 डॉल्फिन हो गई है।

लुप्तप्राय जलीय जीव में शामिल डॉल्फिन को 5 अक्टूबर 2009 में राष्ट्रीय जलीय जीव  घोषित कर, राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में संरक्षण का काम शुरू किया था। वार्षिक गणना के अनुसार 2014 में 71, 2015 में 78, 2016 में 75, 2017 में 74, 2018 में 75, 2019 में 74, 2020 में 68, और 2021 में 82 डॉल्फिन चंबल नदी में मिली थी। अतः रिर्पोट से ज्ञात होता है कि राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य केवल घड़ियाल और मगरमच्छ के लिये प्राकृतिक और सुरक्षित आवास है, बल्कि यह डॉल्फिन की भी पसन्द है।

घड़ियाल प्रजनन केंद्र, कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट, जहां भेजे गए 699 अंडे।

बाह रेंज में मादा घड़ियालों ने 18 स्थानों पर घोंसलों (Nests) बनाये जिनमें 1924 अंड़े दिये थे। जिनमें से 699 अंड़े कुकरैल प्रजनन केन्द्र लखनऊ भेजे गए, जहां  विशेषज्ञों की देख रेख में हैचिंग कराई जाएगी और करीब तीन वर्ष तक बच्चों को मछलियां खिलाकर सेंटर में पाला जायेगा जब इनकी  इनकी लंबाई 120 सेंटीमीटर के आस-पास होती है, तब इन्हें चंबल नदी में छोंड़ दिया जायेगा।

कुकरैल घड़ियाल सेंटर, की स्थापना, कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट, लखनऊ में सन 1976 की गयी थी, जहां हर साल 800 घड़ियालों को हैच कराने और पालने की सुविधा है।

वन क्षेत्राधिकारी हरि किशोर शुक्ला ने बताया कि गुरूवार, 25 मार्च 2021, को कुकरैल स्थित घड़ियाल सेंटर से 23 अलग-अलग बक्सों में घड़ियालों रखकर, राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी लाया गया, जिनमें से 11 घड़ियालों को चंबल नदी और 12 घड़ियालों को महुआ सूडा चंबल नदी के सहसो पॉइंट पर छोड़ा गया। जहां एक से डेढ़ महीने तक यह नदी के किनारे विचरण करेंगे और बाद में फिर घड़ियाल शिशु गहरे पानी की ओर चले जायेंगे।

राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य (National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary) :

राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना सन् 1979 में चंबल नदी पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के त्रिबिन्दु क्षेत्र में हुई, जो 5400 वर्ग किमी (2100 वर्ग मील) में फैला हुआ है। चंबल नदी में, इस अभयारण्य की कुल लंबाई 425 किलोमीटर है। इसे राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary) भी कहा जाता है। यह अभयारण्य भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act of 1972) के तहत संरक्षित क्षेत्र है। जिसकी स्थापना का मुख्य उद्देष्य विलुप्तप्राय घड़ियाल (Gavialils gangeticus), लाल मुकुट कछुआ (Red crown tortoise), जिसका वैज्ञानिक नाम Batagur Kachuga और विलुप्तप्राय गंगा सूंस (Gangetic River Dolphin) की रक्षा करना है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के दिसम्बर 2017  के आकलन के अनुसार संकटग्रस्त प्रजातियों कीरेड डाटा सूची/लाल सूची में इसेघोर-संकटग्रस्त (Critically Endangered या CR)” श्रेणी में रखा गया है।

घड़ियाल को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के सूची के तहत संरक्षित किया गया है।

Friday, July 23, 2021

Ranthambore National Park: The world famous tigress, Arrowhead aka T-84 spots with her three new-born, tiny tiger cubs!

 



Ranthambore | Saturday,  July 24, 2021

The tigress Arrowhead was spotted in zone number three while she was wondering with her three new-born tiger cubs by forest guards on date 16 July 2021. On Friday evening, the forest guards who were doing the monitoring of the tigers in the park, they gave this important information. 

Recently on 13 July 2021, the trackers of the forests department (forest guards) reported that they spotted the queen of Ranthambore, (Arrowhead) with her two new-born tiger cubs in zone number two first time while two tiny tiger cubs were following their mother on the track! According to the forest guards, the new tiger cubs should be between one and half months old. It is the third litter of Arrowhead!

Arrowhead aka T-84

Arrowhead aka T-84 is the dominant tigress of RanthmboreNational Park who roams frequently in zone 3, 4, 5 and some part of zone no.1 and 2 also. She is queen of Ranthambore National Park because she has occupied best tiger habitat area around three lakes in the National Park. She occupied this area from her mother Krishna aka T-19. She is a mature tigress, around seven years old plus. She is second litter of Krishna (T-19), sighted first time on date 23 March, 2014 while her mother, Krishna was shifting her cubs by holding them in her mouth by her canines one by one. In her second litter, Krishna gave birth three cubs, two females and one male. One is called Lighting(T-83) & other was Packman (T-85) from this litter.

Earlier, she had given birth to two litters. She had given her first litter, including two cubs in February 2018. Unfortunately, they had not survived. In December 2018, she delivered her second litter. From this littler, we have got very famous tigresses, Riddhi (T-124) and Siddhi (T-125).

Ranthambore National Park 

Ranthambore National Park, which at present is home to around 70 plus tigers, was declared as Sawai Madhopur Wildlife Sanctuary in 1955 and in 1973 it was included in Project Tiger 'scheme. It got the status of National Park in 1980.